‘सेक्टर 36’: नोएडा के निठारी हत्याकांड पर आधारित एक दिल दहला देने वाली कहानी
साल 2006 में नोएडा के सेक्टर 31 के निठारी गांव में हुए बच्चों के हत्याकांड ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। यह मामला तब सामने आया जब करीब 24 से ज्यादा बच्चों को एक साइको किलर ने बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया था। इसी हत्याकांड पर आधारित फिल्म ‘सेक्टर 36’ आपको एक भयानक और डरावनी कहानी से रूबरू कराती है, जो आपकी रूह को हिला सकती है। आइए जानते हैं इस फिल्म की कहानी, इसकी स्टारकास्ट का प्रदर्शन, और क्या यह वीकेंड पर देखने लायक है।
‘सेक्टर 36’ की कहानी
फिल्म की कहानी शुरू होती है प्रेम (विक्रांत मैसी) नामक एक साइको किलर के साथ, जो एक सामान्य इंसान की तरह दिखता है, लेकिन उसके अंदर छिपा हिंसक और मानसिक रूप से विक्षिप्त पक्ष इस फिल्म की कहानी का केंद्र है। प्रेम केवल चिकन खाता है और उसका फेवरेट शो है करोड़पति, जिसे देखे बिना वह अपनी जगह से हिलता तक नहीं है।
कहानी उस समय दिल दहला देती है जब प्रेम अपने शिकार के टुकड़े-टुकड़े कर देता है और उसके शव को करनाल के बिजनेसमैन बस्सी की कोठी पर ठिकाने लगाता है। कहानी की जड़ें एक छोटे से गांव से जुड़ी हैं, जहां प्रेम अपनी पत्नी और बेटी के साथ प्यार से रहता है, लेकिन गांव के बच्चों के लिए वह एक खतरनाक हत्यारा बन जाता है।
पुलिस की निष्क्रियता और दर्दनाक हत्याएं
गांव के बच्चे एक-एक कर गायब होते जाते हैं, लेकिन स्थानीय पुलिस अधिकारी सब-इंस्पेक्टर राम चरण पांडे (दीपक डोबरियाल) इस मामले को गंभीरता से नहीं लेते, जब तक उनकी खुद की बेटी पर खतरा नहीं मंडराने लगता। जब रामलीला मेले से उनकी बेटी को प्रेम उठाकर ले जाने की कोशिश करता है, तब जाकर पांडे मामले की जांच में गहराई से उतरते हैं। यह मोड़ फिल्म को और भी दिलचस्प और खौफनाक बना देता है।
प्रेम का अतीत: साइको किलर कैसे बना?
फिल्म में प्रेम का बचपन दिखाया गया है, जहां उसका अपने मामा के हाथों शारीरिक शोषण होता है। प्रेम के मामा की एक मिठाई की दुकान होती है, जहां उसे बंद करके रखा जाता है। एक दिन, प्रेम अपने मामा की जांघ पर उसी चाकू से वार करता है, जिससे वह चिकन काटता है, और फिर उनके टुकड़े-टुकड़े करके उनका मांस खा जाता है। इस घटना के बाद, प्रेम बच्चों को मारने की ओर बढ़ता है, और इस घिनौने अपराध में वह अपने मालिक बस्सी के साथ जुड़ जाता है।
मामले की गहराई और क्लाइमेक्स
फिल्म के दूसरे हाफ में, सब-इंस्पेक्टर पांडे और पुलिस की टीम एक-एक करके सुरागों की तलाश करती है, जिससे यह पता चलता है कि सभी बच्चों की हत्याओं के पीछे बस्सी के नौकर प्रेम का हाथ है। पुलिस प्रेम को पकड़कर उससे पूछताछ करती है, जहां वह अपने सभी अपराधों को स्वीकार कर लेता है। प्रेम यह भी बताता है कि उसने बच्चों के कुछ अंग कंपाउंडर को बेचे, और बाकी का मांस खुद खा गया।
फिल्म के अंत में प्रेम को गिरफ्तार कर लिया जाता है, लेकिन उसके मालिक बस्सी को पुलिस नहीं पकड़ पाती क्योंकि डीसीपी जवाहर रस्तोगी (दर्शन जरीवाला) अपने दोस्त को बचा लेते हैं।
सस्पेंस की कमी, लेकिन दमदार अभिनय
हालांकि, फिल्म में सस्पेंस की कमी है क्योंकि कहानी पहले से ही निठारी कांड पर आधारित है, लेकिन कुछ सीन्स ऐसे हैं जो आपको सोचने पर मजबूर कर देते हैं। फिल्म में कई सवाल उठते हैं, जैसे पांडे जी को पुलिस से क्यों निकाला जाता है और उनके जूनियर अधिकारी मिलकर उन्हें मरवाते हैं या नहीं, ये बातें पूरी तरह से स्पष्ट नहीं होती हैं।
स्टारकास्ट का प्रदर्शन
फिल्म की कहानी थोड़ी कमजोर हो सकती है, लेकिन विक्रांत मैसी ने साइको किलर के रूप में अपने रोल को पूरी संजीदगी से निभाया है। उनकी बॉडी लैंग्वेज, एक्सप्रेशन और डायलॉग डिलीवरी शानदार हैं। वहीं, दीपक डोबरियाल ने पुलिस अधिकारी की भूमिका में जान डाल दी। फिल्म के सपोर्टिंग एक्टर्स जैसे दर्शन जरीवाला और आकाश खुराना ने भी अपने किरदारों को बहुत अच्छे से निभाया है।
क्या यह फिल्म देखने लायक है?
अगर आपको सस्पेंस थ्रिलर फिल्में पसंद हैं, और निठारी हत्याकांड की पूरी जानकारी नहीं है, तो यह फिल्म आपकी वीकेंड लिस्ट में शामिल हो सकती है। हालांकि, जो लोग पहले से इस केस के बारे में जानते हैं, उन्हें यह फिल्म कुछ खास प्रभावित नहीं कर पाएगी।
फिल्म 2 घंटे 4 मिनट की है और इसे आप नेटफ्लिक्स पर देख सकते हैं। विक्रांत मैसी और दीपक डोबरियाल का दमदार प्रदर्शन इस फिल्म को एक बार देखने लायक जरूर बनाता है।
निष्कर्ष: ‘सेक्टर 36’ एक मनोरंजक क्राइम थ्रिलर फिल्म है, जो आपको निठारी हत्याकांड की दिल दहला देने वाली कहानी से रूबरू कराती है। सस्पेंस की कमी के बावजूद, फिल्म के कुछ सीन्स और स्टारकास्ट का अभिनय इसे दर्शकों के लिए एक यादगार अनुभव बना देता है।
IN ENGLISH,
‘Sector 36’: A heart-wrenching story based on the Nithari massacre of Noida
The massacre of children in Nithari village of Sector 31 in Noida in 2006 shook the entire country. This case came to light when more than 24 children were brutally killed by a psycho killer. The film ‘Sector 36’ based on this massacre introduces you to a horrific and scary story, which can shake your soul. Let’s know the story of this film, the performance of its star cast, and whether it is worth watching on the weekend.
Story of ‘Sector 36’
The story of the film begins with a psycho killer named Prem (Vikrant Massey), who looks like a normal human being, but the violent and mentally deranged side hidden inside him is the center of the story of this film. Prem only eats chicken and his favorite show is Crorepati, without watching which he does not even move from his place.
The story takes a horrifying turn when Prem dismembers his victim and dumps her body at the mansion of Karnal businessman Bassi. The story is set in a small village where Prem lives lovingly with his wife and daughter, but for the children of the village he becomes a dangerous killer.
Police inaction and brutal murders
The children of the village go missing one by one, but the local police officer Sub-Inspector Ram Charan Pandey (Deepak Dobriyal) does not take the matter seriously until his own daughter is in danger. Pandey delves deeper into the investigation when Prem tries to kidnap his daughter from the Ramlila fair. This twist makes the film even more interesting and horrifying.
Prem’s past: How did he become a psycho killer?
The film shows Prem’s childhood, where he is physically abused by his maternal uncle. Prem’s maternal uncle owns a sweet shop where he is kept locked up. One day, Prem stabs his uncle’s thigh with the same knife he uses to cut chicken, and then chops them into pieces and eats their flesh. After this incident, Prem moves on to killing children, and joins his boss Bassi in this heinous crime.
The depth of the case and the climax
In the second half of the film, Sub-Inspector Pandey and the police team look for clues one by one, which leads to the discovery that Bassi’s servant Prem is behind all the child murders. The police arrest Prem and interrogate him, where he confesses to all his crimes. Prem also reveals that he sold some of the children’s body parts to the compounder, and ate the rest of the flesh himself.
At the end of the film, Prem is arrested, but his boss Bassi is not caught by the police as DCP Jawahar Rastogi (Darshan Jariwala) saves his friend.
Lack of suspense, but strong acting
Although, the film lacks suspense as the story is already based on the Nithari case, but there are some scenes that make you think. Many questions arise in the film, such as why Pandey ji is expelled from the police and whether his junior officers together get him killed or not, these things are not completely clear.
Performance of the starcast
The story of the film may be a little weak, but Vikrant Massey has played his role as a psycho killer with full seriousness. His body language, expressions and dialogue delivery are superb. At the same time, Deepak Dobriyal has brought life to the role of a police officer. The supporting actors of the film like Darshan Jariwala and Akash Khurana have also played their characters very well.
Is this film worth watching?
If you like suspense thrillers, and do not have complete information about the Nithari massacre, then this film can be included in your weekend list. However, those who already know about the case will not be impressed by this film.
The film is 2 hours and 4 minutes long and can be watched on Netflix. The strong performances of Vikrant Massey and Deepak Dobriyal make this film worth watching once.
Conclusion: ‘Sector 36’ is an entertaining crime thriller film, which takes you through the heart-wrenching story of the Nithari massacre. Despite the lack of suspense, some scenes of the film and the acting of the star cast make it a memorable experience for the audience.