Standardization of Training Programs for Loco Pilots in Automatic Signalling Areas: A Critical Initiative by Indian Railways!स्वचालित सिग्नलिंग क्षेत्रों में loco pilots(लोको पायलटों )के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों का मानकीकरण: भारतीय रेलवे द्वारा एक महत्वपूर्ण पहल
स्वचालित सिग्नलिंग क्षेत्रों में loco pilots(लोको पायलटों )के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों का मानकीकरण: भारतीय रेलवे द्वारा एक
महत्वपूर्ण पहल
स्वचालित सिग्नलिंग क्षेत्रों में सिग्नल विफलताओं के कारण हाल ही में हुई रेल दुर्घटनाओं के जवाब में, भारतीय रेलवे बोर्ड ने लोको पायलटों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों को मानकीकृत करने के उद्देश्य से एक निर्देश जारी किया है। हाल ही में जारी एक नोटिस में विस्तृत यह निर्देश सुरक्षा और परिचालन दक्षता बढ़ाने के लिए सभी क्षेत्रों में प्रशिक्षण प्रोटोकॉल में एकरूपता की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
परिचय
भारतीय रेलवे, जो वैश्विक स्तर पर सबसे बड़े रेलवे नेटवर्क में से एक है, विविध और चुनौतीपूर्ण इलाकों में काम करता है, अक्सर सुरक्षित ट्रेन संचालन सुनिश्चित करने के लिए स्वचालित सिग्नलिंग सिस्टम जैसी उन्नत तकनीकों पर निर्भर करता है। हालाँकि, हाल की घटनाओं ने इन स्वचालित वातावरणों में काम करने वाले लोको पायलटों के बीच लगातार प्रशिक्षण और तैयारी की महत्वपूर्ण आवश्यकता को उजागर किया है।
निर्देश का विवरण
निर्देश में सभी रेलवे क्षेत्रों में कई प्रमुख उपायों को लागू करने का आदेश दिया गया है:
1. **नियमित परामर्श सत्र**: लोको पायलट और उनके सहायक हर छह महीने में एक दिवसीय गहन परामर्श सत्र से गुजरेंगे, जिसमें स्वचालित सिग्नलिंग सिस्टम की बारीकियों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इस पहल का उद्देश्य ऐसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण परिचालन प्रक्रियाओं की उनकी समझ को ताज़ा और सुदृढ़ करना है।
2. **प्रशिक्षण फोकस**: परामर्श के दौरान स्वचालित सिग्नलिंग क्षेत्रों के लिए विशिष्ट परिचालन प्रक्रियाओं, सामान्य चालक दल की गलतियों को संबोधित करने और सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन सुनिश्चित करने पर जोर दिया जाएगा।
3. **असामान्य संचालन के लिए फॉर्म**: असामान्य संचालन को दस्तावेज करने के लिए मानकीकृत फॉर्म जारी किए जाएंगे, जिसमें गति प्रतिबंधों की आवश्यकता वाले मामले भी शामिल हैं। इस उपाय का उद्देश्य महत्वपूर्ण स्थितियों के दौरान रिपोर्टिंग और प्रतिक्रिया प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करना है।
4. **एनिमेटेड प्रशिक्षण वीडियो**: लोको पायलटों को सामान्य चालक दल की गलतियों को उजागर करने वाले और स्वचालित सिग्नलिंग वातावरण में नेविगेट करने में सर्वोत्तम प्रथाओं का प्रदर्शन करने वाले एनिमेटेड वीडियो दिखाए जाएंगे। इस दृश्य सहायता से परिचालन दिशानिर्देशों की समझ और अवधारण को बढ़ाने की उम्मीद है।
5. **योग्यता परीक्षण**: प्रशिक्षण सत्रों के बाद, लोको पायलट स्वचालित सिग्नलिंग प्रणालियों की अपनी समझ का आकलन करने के लिए बहुविकल्पीय प्रश्नों वाले योग्यता परीक्षणों से गुजरेंगे। ये परीक्षण ऑपरेटिंग क्रू के बीच किसी भी ज्ञान अंतराल की पहचान करने और उसे संबोधित करने में मदद करेंगे।
6. **योग्यता प्रमाण-पत्र**: प्रशिक्षण और योग्यता परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा करने पर, लोको पायलटों को योग्यता प्रमाण-पत्र प्रदान किए जाएंगे। ये प्रमाण-पत्र न केवल उनकी दक्षता को मान्यता देते हैं, बल्कि निरंतर सुधार और मूल्यांकन के लिए एक उपकरण के रूप में भी काम करते हैं।
कार्यान्वयन रणनीति
इन निर्देशों के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए, रेलवे बोर्ड ने एक संरचित दृष्टिकोण की रूपरेखा तैयार की है:
– **मुख्य लोको निरीक्षक की जिम्मेदारियाँ**: एक नए स्वचालित सिग्नलिंग क्षेत्र की शुरूआत पर, मुख्य लोको निरीक्षक (सीएलआई) सभी लोको पायलटों और सहायक लोको पायलटों के लिए एक व्यापक दो दिवसीय प्रशिक्षण सत्र आयोजित करेगा। यह सत्र उन्हें नए वातावरण में सुरक्षित रूप से संचालन करने के लिए आवश्यक कौशल और ज्ञान से लैस करेगा।
– **परामर्श सत्रों की आवृत्ति**: एक नए स्वचालित सिग्नलिंग क्षेत्र के चालू होने के बाद शुरू में हर दो महीने में गहन परामर्श सत्र आयोजित किए जाएंगे। इसके बाद, परिचालन मानकों को बनाए रखने और सुदृढ़ करने के लिए ये सत्र हर छह महीने में आयोजित किए जाएंगे।
निष्कर्ष
स्वचालित सिग्नलिंग क्षेत्रों में परिचालन करने वाले लोको पायलटों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों को मानकीकृत करने की रेलवे बोर्ड की पहल रेलवे सुरक्षा और परिचालन दक्षता को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। सभी क्षेत्रों में प्रशिक्षण प्रोटोकॉल में एकरूपता सुनिश्चित करके और कठोर परीक्षण और प्रमाणन प्रक्रियाओं को लागू करके, भारतीय रेलवे का लक्ष्य सिग्नल विफलताओं से जुड़े जोखिमों को कम करना और समग्र परिचालन तैयारियों में सुधार करना है।
यह सक्रिय दृष्टिकोण न केवल तत्काल सुरक्षा चिंताओं को संबोधित करता है, बल्कि रेल परिवहन में सुरक्षा और दक्षता के उच्चतम मानकों को बनाए रखने के लिए भारतीय रेलवे की प्रतिबद्धता को भी रेखांकित करता है। चूंकि ये उपाय पूरे रेलवे नेटवर्क में लागू किए जा रहे हैं, इसलिए हितधारक एक सुरक्षित और अधिक विश्वसनीय रेलवे प्रणाली की उम्मीद कर सकते हैं, जो आधुनिक रेल संचालन की चुनौतियों से निपटने के लिए सुसज्जित अच्छी तरह से प्रशिक्षित और सक्षम लोको पायलटों द्वारा समर्थित है।
निष्कर्ष में,
स्वचालित सिग्नलिंग क्षेत्रों में लोको पायलटों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों का मानकीकरण भारतीय रेलवे की सुरक्षा, विश्वसनीयता और रेलवे संचालन में निरंतर सुधार के प्रति समर्पण का प्रमाण है।
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Standardization of Training Programs for Loco Pilots in Automatic Signalling Areas: A Critical Initiative by Indian Railways
In response to recent train accidents attributed to signal failures in automatic signalling areas, the Railway Board of India has issued a directive aimed at standardizing training programs for loco pilots. This directive, detailed in a recent notice, underscores the necessity for uniformity in training protocols across all zones to enhance safety and operational efficiency.
Introduction
The Indian Railways, one of the largest railway networks globally, operates in diverse and challenging terrains, often relying on advanced technologies like automatic signalling systems to ensure safe train operations. However, recent incidents have highlighted the critical need for consistent training and preparedness among loco pilots operating in these automated environments.
Directive Details
The directive mandates several key measures to be implemented across all railway zones:
1. **Regular Counselling Sessions**: Loco pilots and their assistants will undergo a one-day intensive counselling session every six months focused on the nuances of automatic signalling systems. This initiative aims to refresh and reinforce their understanding of operational procedures critical in such territories.
2. **Training Focus**: Emphasis during counselling will be placed on operational procedures specific to automatic signalling areas, addressing common crew mistakes, and ensuring adherence to safety protocols.
3. **Forms for Abnormal Operations**: Standardized forms will be issued to document abnormal operations, including instances requiring speed restrictions. This measure aims to streamline reporting and response procedures during critical situations.
4. **Animated Training Videos**: Loco pilots will be shown animated videos highlighting common crew mistakes and demonstrating best practices in navigating automatic signalling environments. This visual aid is expected to enhance comprehension and retention of operational guidelines.
5. **Competency Testing**: Following the training sessions, loco pilots will undergo competency tests comprising multiple-choice questions to assess their understanding of automatic signalling systems. These tests will help identify and address any knowledge gaps among the operating crew.
6. **Competency Certificates**: Upon successful completion of the training and competency tests, loco pilots will be awarded competency certificates. These certificates not only recognize their proficiency but also serve as a tool for continuous improvement and assessment.
Implementation Strategy
To ensure effective implementation of these directives, the Railway Board has outlined a structured approach:
– **Chief Loco Inspector Responsibilities**: Upon the introduction of a new automatic signalling territory, the Chief Loco Inspector (CLI) will organize a comprehensive two-day training session for all loco pilots and assistant loco pilots. This session will equip them with the necessary skills and knowledge required to operate safely in the new environment.
– **Frequency of Counselling Sessions**: Intensive counselling sessions will initially be conducted every two months following the commissioning of a new automatic signalling territory. Subsequently, these sessions will be held every six months to maintain and reinforce operational standards.
Conclusion
The initiative by the Railway Board to standardize training programs for loco pilots operating in automatic signalling areas marks a significant step towards enhancing railway safety and operational efficiency. By ensuring uniformity in training protocols across all zones and implementing rigorous testing and certification processes, Indian Railways aims to mitigate risks associated with signal failures and improve overall operational preparedness.
This proactive approach not only addresses immediate safety concerns but also underscores Indian Railways’ commitment to maintaining the highest standards of safety and efficiency in rail transport. As these measures are rolled out across the railway network, stakeholders can expect a safer and more reliable railway system, bolstered by well-trained and competent loco pilots equipped to handle the challenges of modern rail operations.
In conclusion,
the standardization of training programs for loco pilots in automatic signalling areas stands as a testament to Indian Railways’ dedication to safety, reliability, and continuous improvement in railway operations.
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